Saturday, 7 July 2012

सुनहरे गाँव में गंणतंत्र दिवस का उत्सव   


आओ साथी यो देश वासियों ,मेरा निर्त्य दिखाती हु 
मोरनी सी चाल है मेरी . कोयल सी में गाती हु


मेरा निर्त्य देख कर टीचरजी को भी गर्व हुआ 
ताली बजा कर वाह वाह कह कर मेरा भी सम्मान किया

पुरूस्कार जब ले घर पहुंची , माँ ने मुझको गले लगाया
पुरूस्कार सबको दिखलाऊ ,देखो दादी देखो भईया

पर एक बात अब याद है आई, पापा ने मोहे डाट लगायी
दूर देस में रहते पापा फिरभी डाट लगते है

पापा तुम मुझको ना डाटो ,में तोरे अन्ग्नाकी चिड़िया
उड़ जाउंगी पंख लगाकर ,बस कुछ दिनका रेन बसेरा

मेरी बाते सुन कर पापा की भी आखें नम हुए
गले लगा कर मुझको बोले ,गुडिया मेरी जान तुही

आओ साथिया देस वासिय मेरानिरत्य दिखाती हु
मोरनी सी चाल है मेरी कोयल सी में गाती हु ...!!

सच में जब बालिकाओ का निर्त्य और उनकी भोली अदाओ से
सजना सवर्णा देख ते है तो उनके सम्मान करने में शब्द कम पड़ जाते है ..



             { सीता पालीवाल }

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