Monday, 30 April 2012


… असमंजस, हैरानी हूं! :)

माफ़ जो हो वो नादानी हूं,
बहता रहता वो पानी हूं!
समझ न पाया अब तक कोई,
वो असमंजस, हैरानी हूं! :)

रुकना मेरा छंद नही है,
तट से बंधना पसंद नही है!
बैठ के रोने से क्या होगा,
मुश्किल मेरी चंद नही है!

दिल छू लोगे पिघल जाउंगी,
ढ़ालो जैसे ढ़ल जाउंगी,
बोझ न समझो मुझको अपना,
खुद अपने से सम्हल जाउंगी!

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